मिलन
एक अनजान सा वो चेहरा,
जुल्फ तले है घना अँधेरा,
देर रात देता है दस्तक,
नींद में ली अंगड़ाई है,
छाया है मदमस्त हो यौवन,
नयी छठा बिखरी घर आँगन,
पर कौन है वो जो रोक है देता,
मेरा वो साहिल से मिलन,
हुआ है पहले, हो के रहेगा,
इंतज़ार का सिला मिलेगा,
कौनसी होगी ना जाने वो बेला,
जब नैया पर लग जायेगी,
पर है विश्वास इतना बस मुझको,
कि वो मधुर घडी जल्द ही आएगी।
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