ArpitGarg's Weblog

An opinion of the world around me

चुनावी हवा

leave a comment »

download.jpg

चुनावी हवा कुछ ऐसी चली पिछले दिनों,
जनता ने पूछा कि कहाँ गया विकास,
तुमको देना होगा २२ साल का हिसाब,
ये सुन, झांके बगलें, ढूंढें जुमला साहब|

चुनावी हवा कुछ ऐसी चली पिछले दिनों,
जनेऊ पहन मंदिर जाने की लगी दौड़,
तिलक लगा के शहर भर में छा गया,
हो जाओ बगल, नया पुजारी आ गया|

चुनावी हवा कुछ ऐसी चली पिछले दिनों,
चौबेजी बनने चले जो, छब्बे भी न बन पाए,
हुंकार जो मिलकर बोली आंदोलन की,
सत्ता के विष ने, सबको जा लीला|

चुनावी हवा कुछ ऐसी चली पिछले दिनों,
क्या चाचा भतीजा, क्या बेटा क्या बाप,
अपना सुख नापें, सब आपों आप,
हाथ किसी के न आया कुछ भी|

चुनावी हवा कुछ ऐसी चली पिछले दिनों,
वादा था, सब घोटालेबाज जाएंगे जेल,
पर शब्दों का मोल सत्ता ने हल्का नापा,
सब एक ही है परिवार, बच्चे मम्मी पापा|

चुनावी हवा कुछ ऐसी चली पिछले दिनों,
जितना कर लो विश्वास, टूटना ही है आखिर,
सत्ता के सब भूखे हैं, आत्मा से सब सूखे हैं,
है रीत पुरानी सदियों से, क्यूँ रोये तू||

Written by arpitgarg

January 12, 2018 at 6:28 am

Posted in Hindi, Poetry, Political

Tagged with , ,

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: