एक सौ सोलह चाँद की रातें
पागलपन सी करती बातें,
आँखें तेरी जैसे झिलमिल,
एक सौ सोलह चाँद की रातें,
एक ये तेरे काँधे का तिल।
पल दो पल की थी मुलाकातें,
उतने में ले गयी मेरा दिल,
एक सौ सोलह चाँद की रातें,
एक ये तेरे काँधे का तिल।
गुस्सा जो तू हो जाती है,
होता मन मेरा तिलमिल,
एक सौ सोलह चाँद की रातें,
एक ये तेरे काँधे का तिल।
दूरी तुझसे बहुत है चुभती,
मरता हूँ मैं जैसे तिलतिल,
एक सौ सोलह चाँद की रातें,
एक ये तेरे काँधे का तिल।
होती तुझसे २-४ जो बातें,
हँस देता मैं एकदम खिलखिल,
एक सौ सोलह चाँद की रातें,
एक ये तेरे काँधे का तिल।
तू ही सुबह है तू ही शाम,
जीवन तुझसे गया है सिल,
एक सौ सोलह चाँद की रातें,
एक ये तेरे काँधे का तिल।
रात दिन ख्याल तेरा बस,
आरम्भ है तू, तू ही मंजिल,
एक सौ सोलह चाँद की रातें,
एक ये तेरे काँधे का तिल।।
Kiske kaandhe per til hai
Yogi
June 11, 2016 at 11:23 pm