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गया काम से तू

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लबों की वो लाली,
पल पल की गाली,
चढ़ती मदहोशी साली,
गया काम से तू|

थी जुराबें गुलाबी,
छंछंनाती पाजेबें,
मोरनी से हैं पंजे,
गया काम से तू|

मटकती सी आँखें,
दिल में हैं झांकें,
हैं नश्तर चलाती,
गया काम से तू|

उलझी सी जुल्फें,
कि थोड़ी तो सुल्झा,
लगाती हैं फांसी
गया काम से तू|

इधर तिल उधर तिल,
थकता ना गिन गिन,
हैं नजरें चुराते,
गया काम से तू|

मजबूर है दिल,
बड़ा है ये कातिल,
जबसे उसे मिल
गया काम से तू||

Written by arpitgarg

September 2, 2012 at 12:16 am

Posted in Hindi, Poetry

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