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न भूल सका

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पहली बार जो तुझको देखा था,
शरमाई औ सकुचाई सी थी,
कुछ डरी औ कुछ घबराई सी थी,
भूला मैं यह सब कुछ, न भूल सका,
बस तेरे चेहरे पर आती हुई वो लट|

बच रही थी तू मुझसे, कौन है यह?
शायद कुछ ज्यादा ही उतावला था मैं,
तिर्छी निगाहों से वैसे, देख रही थी तू,
भूला मैं यह सब कुछ, न भूल सका,
बस तेरी वो पहली नश्तर सी हँसी|

दो घंटे इंतज़ार करवाया था तूने,
पहली बार मिले थे जब हम तुम,
ऐसी नादान बन रही थी तू, क्या कहता,
भूला मैं यह सब कुछ, न भूल सका,
बस तेरी वो बिंदी जो कुछ टेढ़ी थी|

लम्बी लम्बी बातें तेरी, नहीं ख़त्म,
जो होती थी, पक-पक पक-पक तेरी,
न जाने कब अच्छी लगने लगी थी,
भूला मैं यह सब कुछ, न भूल सका,
बस तेरा वो तकिया-कलाम, हाय|

निगाहों का नशा तेरा, रिश्ता मेरा,
तेरा रूठना, मनाना मेरा, पल छिन,
वो प्यार से तेरा मुझ पे मुक्के बरसना,
भूला मैं यह सब कुछ, न भूल सका,
बस तेरी वो आखों की सरफरोशी|

तेरा मेरे पास आना, दूर जाना, सताना,
रोकना मुझे, प्यार बरसना, कतराना,
तेरे नखरे सहना, तुझे कुछ न कहना,
भूला मैं यह सब कुछ, न भूल सका,
बस वो सारे ख्वाब जो तेरे नाम किये||

Written by arpitgarg

July 11, 2011 at 7:32 pm

Posted in Hindi, Love, Poetry

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