ArpitGarg's Weblog

An opinion of the world around me

पकपक

leave a comment »

बकता हूँ मैं दिन औ रात,
आखिर इतना बकता क्यूँ हूँ,
सुनाई बस यही देता है,
पकपक पकपक पकपक पकपक|

एक ही बात दिन ब दिन,
आखिर नहीं मैं थकता क्यूँ हूँ,
कहते हैं सब, बंद कर अपनी,
कचकच कचकच कचकच कचकच|

एक बार जो बात हुई, सो हुई,
सौ सौ बार उसको करता क्यूँ हूँ,
समझ में बस इतना आता है,
भकभक भकभक भकभक भकभक|

दोहरा दोहरा, तिहरा तिहरा
बात की बात ही खत्म हुई,
बात में बस जो बात बची, वो थी,
पटपट पटपट पटपट पटपट|

पहले तो फिर भी सुनते थे जो,
कान बंद किये उन्होंने भी,
उनको भी अब लगने लगा था,
खटखट खटखट खटखट खटखट|

अब तो मैं खुद भी तंग आ चुका,
बेइज्जती अपनी करवा करवा कर,
मुझको भी अब सुनने लगा है,
बसकर बसकर बसकर बसकर|

चुप हो जाना चाहता हूँ मैं,
गुम हो जाना चाहता हूँ मैं,
चाहता हूँ मैं जीना फिर से,
मरकर मरकर मरकर मरकर||

Written by arpitgarg

December 14, 2013 at 3:44 am

Posted in Funny, Hindi, Poetry

Tagged with , , , , , , ,

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: