पूछो तो बतला दूँ मैं
घुट घुट कर के जीना जैसे,
छुप छुप कर के रोना है,
पा कर सबकुछ खोना क्या?
पूछो तो बतला दूँ मैं।
आहट की राहत है क्या,
उसके चौखट पे आने की,
आँखों पे नमी की चादर क्यों?
पूछो तो बतला दूँ मैं।
बदल करवटें कटती रतियाँ,
पलछिन, लगे जैसे सदियाँ,
आवाज क्यों अटकी हलक तले?
पूछो तो बतला दूँ मैं।
खोजा तुझे मैंने कहाँ कहाँ,
बनके फ़कीर माँगा करता,
दिल बन पत्थर टूटा कैसे?
पूछो तो बतला दूँ मैं।
मैं सिसक सिसक के रोया हूँ,
पर आसूँ न आने दिए कभी,
क्या कसम तेरी मैं खा बैठा?
पूछो तो बतला दूँ मैं।
न दवा मिले, न दुआ सरे,
अंतर्मन अलग ही सुलग रहा,
है दर्द भरा क्या मन में मेरे?
पूछो तो बतला दूँ मैं।
शून्य को बैठा रहा ताक,
नापाक हुआ, न रहा पाक,
जो मन में दबाये बैठा हूँ,
पूछो तो बतला दूँ मैं।
Nice lines really
chetan sharma
February 19, 2016 at 2:28 pm
Thnx
arpitgarg
February 19, 2016 at 8:08 pm