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Some Vintage Days
Some vintage days, gone are they
Some vintage memories, left
Ups and Downs, gave they to us,
Heavy and Light talks abuzz
Those lengthy evenings, graphs and charts
Those bickering, arguments tarts
Whatever you told, I often repulsed
But the words come back to me
You said it from your experience
I could not grasp much then
They hit me now, like wine of old
All said and done, memories built,
Will meet, paths will cross again,
Some vintage days, gone are they
Some vintage memories, left.
Things I love/hate about Anna Hazare
- I hate that he makes me feel corrupt. He tries to wake up my conscience. He makes me uncomfortable. He irks me.
- I love that he does not contest elections and hold legislative posts. Scared if he becomes PM.
- I hate the fact that he brainwashes today’s youth into believing that corruption is a bad thing.
- I love when he goes on fast and his health deteriorates. Good Riddance.
- I hate that his crusade will take off food from plates of corrupt people like me.
- I love that people like him are not selected for constitutional posts in our country. Who would bear a lokayukta like him?
- I hate that my dream of owning a black money account in Swiss bank will remain a dream because of him.
- I love the fact that he is old.
- I hate that his legacy will continue forcing me to answer to laws of the land for corruption.
Life
Like an encumbrance to levy.
Challenges pouring in every hour,
Like thorns of a rose flower.
Which smells good,
But stings like wood.
Pressure building on all sides.
Not a moment to lay beside.
Like a complicated preparation of glycene,
With everyone so keen,
To uncover the unseen.
I think how good it had been,
If worries were not known and I with my fairy queen,
Striding along the path of my life,
Free from all strife.
No feeling to outshine others,
But a mind to follow,
And sooth others like a pillow.
With feeling of communism,
फिर वो पुरानी याद आई
क्यों रह रह कर आते सपने,
उन पीर परायी रातों के,
क्यों होती है दिल में हलचल,
उन नई पुरानी बातों से,
क्यों जहन में अटकी हैं यादें,
जब गलियों की कच्ची सड़कें,
सावन में पक्की लगती थीं,
जब टूटी सायिकल की गद्दी,
मोटर से मुलायम लगती थी,
जब आंच पे पकती रोटी भी,
जायके में अव्वल लगती थी,
क्या दौर था वो, कुछ और था वो,
सुख चैन का बस सिरमौर था जो,
वो समां पुराना चला गया,
कुछ और देर तक रहता फिर,
मिल बैठ के बातें करते हम,
कोई रीत पुरानी गाता में,
कुछ गम मिल जुलकर करते कम|
मैदान में वो गिरना पड़ना,
हर बात पे बालक हठ करना,
जो हवा बनाई डींगे हांक,
सब अव्वल बैटिंग देते थे,
जो आड़े आया कोई सो,
अपने सुदबुध में ऐंठे थे,
जो पेड़ सुनहरा गुलमोहरी,
दिनभर हरिया बरसाता था,
वोह बेल हवा में टूट टूट,
और नीम का मस्ती लहराना,
क्या दौर था वो, कुछ और था वो,
सुख चैन का बस सिरमौर था जो,
वो समां पुराना चला गया,
कुछ और देर तक रहता फिर,
मिल बैठ के बातें करते हम,
कोई रीत पुरानी गाता में,
कुछ गम मिल जुलकर करते कम|
शादी का मौसम सुनते ही,
मुहँ में पानी का आ जाना,
ख्वाब में भी खुरचन लड्डू की,
आपस में कुश्ती करवाना,
और कचौड़ी पूड़ी से,
घी का टप टप रिसते जाना,
और नहीं, बस और नहीं,
एक और तो लो, तुम्हें मेरी कसम,
भाभी देवर का टकराना,
क्या दौर था वो, कुछ और था वो,
सुख चैन का बस सिरमौर था जो,
वो समां पुराना चला गया,
कुछ और देर तक रहता फिर,
मिल बैठ के बातें करते हम,
कोई रीत पुरानी गाता में,
कुछ गम मिल जुलकर करते कम|
बीमार था जब, सब याद है अब,
दादी ने नजर उतारी थी,
अलाएँ बालाएं सब टल जाएँ,
इस बात की दुआ पुकारी थी,
दीवाली में पूरे कुनबे का,
मिल जुलकर बाड़ा चमकाना,
कुछ दीपक से, कुछ बत्ती से,
सब ओर प्रकाश का टिम टाना,
सब बच्चों को नगदी मिलना,
बड़ों का आशीर्वाद कहलाता था,
एक सुई, एक धागे में,
सारा संसार पिर जाता था,
क्या दौर था वो, कुछ और था वो,
सुख चैन का बस सिरमौर था जो,
वो समां पुराना चला गया,
कुछ और देर तक रहता फिर,
मिल बैठ के बातें करते हम,
कोई रीत पुरानी गाता में,
कुछ गम मिल जुलकर करते कम|
हो गई पुरानी सब बातें,
यादें भी धुंधली हो हैं चली,
पर मन जाने क्यों अटका है,
कभी ना जाना, उसी गली,
कभी कभी एक आस जगे,
क्यों ना कल जब सो के उठें,
तो सुबह उन्हीं गलियों में हो,
रात उन्हीं अठखलियों से हो,
पर बीत चुका कब आया है,
बीते की याद ही आई है,
क्या दौर था वो, कुछ और था वो,
सुख चैन का बस सिरमौर था जो,
वो समां पुराना चला गया,
कुछ और देर तक रहता फिर,
मिल बैठ के बातें करते हम,
कोई रीत पुरानी गाता में,
कुछ गम मिल जुलकर करते कम|
भूली बिसरी यादें
कहाँ-कहाँ से पकड़ से लाये,
कैसे करतब करवाने को|
बंद कर दिए एक पिंजरे मैं,
आपस मैं खोपड़ टकराने को|
तीन मोर और दो थी मोरनी,
नई-नई पहचान हुई|
पग-पग कर थी राह जोड़नी,
कच्चा था धागा टूटी थी सुई|
प्यार था उमड़ा जिन बातों पर,
वो बातें कड़वी याद हुईं|
एक हाथ से ताली नहीं बजती,
कहावत ये साकार हुई|
मोर-मोरनी लड़े औ झगडे,
अपनों का नाम खराब किया|
होते हैं जीवन में लाखों लफड़े,
पर हाय ये विष क्यों सबने पिया|
नजरें मिला पाओगे अब तुम,
दर्पण मैं अपने आप से क्या|
गिर कर भी उठ पाओगे क्या,
नजरों मैं अपने आप के तुम|
भगवान् इन्हें सदबुद्धि देना,
आगें करतब कुछ ऐसा करें|
सब देखें और गुणगान करें,
कि मोर-मोरनी हों तो ऐसे,
और सभी का ये सम्मान करें|
सायोनारा: अलविदा सैंट पीटर्स
My farewell speech 12 Std, St. Peters College Agra, 2003.
कुछ बीती बातों का छोड़ रहा हूँ फव्वारा,
सायोनारा|
दिल कि डायरी का है यह सार सारा,
सायोनारा|
इस कविता में अपनी पहचान ख़ुद से है करारा यह बेचारा,
सायोनारा|
सुबह घंटी बजने के ५ मिनट बाद नियमपूर्वक क्लास में है आरा,
सायोनारा|
बिना पास के साइकिल स्टैंड वाले को दस रुपये का किया इशारा,
सायोनारा|
बिन पॉलिश के जूतों और लंबे बालों को लिए क्लास में है घुसा जारा,
सायोनारा|
डायरी न लाने पर एक दोस्त के कवर व बाकी से पन्ने लेकर असेम्बली में जाने की जुगाड़ है बिठारा,
सायोनारा|
एडवर्ड सर की नजरों से बचने के लिए गंदे जूते पैंट से है घिसे जारा,
सायोनारा|
छोटे कद का होकर भी असेम्बली की लाइन में सबसे पीछे है लगा जारा,
सायोनारा|
प्रयेर के टाइम पे गर्लफ्रैंड के किस्से है सुनारा,
सायोनारा|
नेशनल ऐनथम के दौरान अटेंशन में नहीं खड़ा हुआ जारा,
सायोनारा|
‘गुड मोर्निंग टीचर’ को के.एल. सहगल के गीत की तरह है सुनारा,
सायोनारा|
पहले ही पिरिएड में टिफिन का लिया चटकारा,
सायोनारा|
चुपके से दूसरे कि बोतल से पानी है पिया जारा,
सायोनारा|
लीव ऐप्लीकेशन न लाने पर जल्दी से मम्मी-पापा का साइन है किया जारा,
सायोनारा|
बिना सिलेबस कि किताबों के भी नोविल्स के बोझ से बैग है फटा जारा,
सायोनारा|
बोरिंग लेक्चर के बीच नींद में डूबा जारा और पकड़े जाने पर घिसा पिटा राग सुनारा,
सायोनारा|
मॉरल साइंस के पिरिएड में फादर के संग ठहाके है लगारा,
सायोनारा|
इंगलिश के पिरिएड में में मैथ का काम है किया जारा,
सायोनारा|
मैथ का पिरिएड आने पर सिस्टर ऑफिस भागा जारा,
सायोनारा|
एग्जाम से पहले बैठकर महनत से फर्रे है बनारा,
सायोनारा|
टीचर के सिर को एरोप्लेन की लैंडिंग प्लेस है बनारा,
सायोनारा|
चुन-चुन कर दूसरों पे रबड़ में फंसाकर बुलेट है बर्सारा,
सायोनारा|
पंखे, ट्यूबलाईट और, बल्ब को चॉक का निशाना है बनारा,
सायोनारा|
तबियत ख़राब होने का बहाना बनाकर घर को भगा जारा,
सायोनारा|
फ़ुटबाल मैच में सामने वाले को धक्का देकर गिरारा और ख़ुद गिरने पर बाहर मिलने का न्योता देकर आरा,
सायोनारा|
जूनियर साइड में नल की लाइन पर जाकर छोटे बच्चों को है हड़कारा,
सायोनारा|
इंटरवल की घंटी बजने पर खिड़की से है कूदा जारा,
सायोनारा|
कैंटीन में ५ रुपये में दो पैटी लेकर अपनी बुद्धि को है इतरारा,
सायोनारा|
औरों की बर्थडे की ट्रीट खाकर अपनी बर्थडे के दिन स्कूल में न दिया नज़ारा,
सायोनारा|
एब्सेंट होने पर रोज नया बहाना बनरा,
सायोनारा|
कैंटीन की भीड़ में अपनी शक्ति का पूरा जोर दिखारा,
सायोनारा|
दूसरे के बर्गर के चिथड़े कर फूले नहीं समारा,
सायोनारा|
दो दोस्तों के बीच डब्लू.डब्लू.एफ करवाकर मंद-मंद मुस्करारा,
सायोनारा|
क्लास से बंक मारकर पूरे स्कूल में गश्त है लगारा,
सायोनारा|
पीछे बैठकर दोस्तों से गप्पें है लडारा,
सायोनारा|
एग्जाम में आगे वाले को आन्सर बताने के लिए पटारा और न बताने पर उसे भूखे शेर कि तरह है घूरे जारा,
सायोनारा|
केमिस्ट्री लैब में नाइट्रिक एसिड से घर की टकसाल के सारे सिक्के है चमकारा,
सायोनारा|
विभिन्न रसायनों को मिला सतरंगी चित्र है बनारा,
सायोनारा|
५ टी.टी और दो बीकर तोड़ने की गाथा गर्व से पूरी क्लास को है सुनारा,
सायोनारा|
फिजिक्स लैब में मरकरी कि गोलियाँ है बनरा,
सायोनारा|
वहाँ के इन्सटरूमंट्स तोड़कर, उनके पहले से टूटे होने कि ख़बर सच्चाई से टीचर को है सुनारा,
सायोनारा|
प्रोजक्ट टाइप करने के बहाने पूरा दिन कमप्यूटर लैब में ऐ.सी. के मजे है उड़ारा,
सायोनारा|
मक्खन लगाकर सब टीचर्स का बनना चाह रहा दुलारा और दूसरों के मक्खन लगाने को सहन नहीं कर पारा,
सायोनारा|
स्पोर्ट्स डे की शाम कॉरिडोर में बम्ब है छुड़ारा,
सायोनारा|
और भड़ाम की आवाज आने पर सीना फूलकर दुगना हुआ जारा,
सायोनारा|
एग्जाम टाइम में सब टीचर्स के पैर छूकर जारा,
सायोनारा|
सेकंड क्लास की सीड़ियों से “ग्रेट वाल पार आफ चाइना” के उस पार है झाँका जारा,
सायोनारा|
स्कूल के अन्दर आने के रास्ते में बड़ा गेट आते ही स्पीड धीमी कर मुंडी है घुमारा,
सायोनारा|
कम्बाइंड स्कूल सैलिब्रैशन के लिए १५ अगस्त का इंतज़ार है किया जारा,
सायोनारा|
इन सब को याद कर बड़ी मुश्किल से हूँ में अश्रुधारा को रोक पारा,
सायोनारा|
सैंट पीटर्स के गलियारों में दिल मेरा हारा,
सायोनारा|
यहाँ है सब टीचर्स का स्नेह और फादर मैथ्यू का प्यार बहुत सारा,
सायोनारा|
यहाँ है मानवता का फव्वारा,
सायोनारा|
यह है मार्गदर्शक हमारा,
सायोनारा|
येह है प्यार का गुलिस्तां हमारा,
सायोनारा|
आज इन सब चीजों को कर रहा हूँ में सायोनारा
सायोनारा, सायोनारा, सायोनारा…
…अलविदा सैंट पीटर्स…